हकीकत पर और कितना…पर्दा..?शिकायत करके अपनी भ्रष्टाचार को नहीं छुपा सकते सरपंच…?
फर्जी कहने वाले बतलाए की फर्जी नापने का पैमाना क्या है… और इसे प्रमाणित किसने किया..? बगैर प्रशासनिक जांच और पुष्टि के,किसी पर फर्जी शब्दों का प्रयोग करना या थोपना क्या गुनाह नहीं है…
शिकायत पत्र पर नाम किसी दूसरे का और मिडिया में अपना दुखड़ा किसी और का रोना रो रहे सरपंच संघ के अध्यक्ष…
जवानी के राहत ले इतराले वो पीछू पछताबे…यह गाना उतना ही कड़वा सत्य है जितना नवागढ़ विधानसभा क्षेत्र के राजनीतिक गलियारे पर पत्रकारों के खिलाफ में झूठी शिकायत करके स्थानीय पत्रकारों के छवि खराब करने में लगे हुए हैं यह मामला स्पष्ट जाहिर करता है एक ओर जनता उनकी चलाकी समझ रही है । जो अपने रोजी रोटी सेकने के ही लोगों के विपरीत द्वेष की भावना से अपराध तक करवा दे रहे हैं वह पत्रकारों को क्या कुछ नहीं करा सकते इससे स्पष्ट होता है क्योंकि कुछ पत्रकार भी चमचागिरी करने से बाज नहीं आ रहे हैं नतीजन उनका ही फायदा उठा रहे हैं जिनके साथ-साथ अब उनके ही लोग चलने से कतराते हैं वरिष्ठ कार्यकर्ता भी उनके पीछे चलना छोड़ दिए हैं। बहरहाल यह तो राजनीतिक बातें हैं मगर हकीकत कुछ और ही है जो कि क्षेत्र की जनता सब समझ रही है। बेमेतरा कलेक्टर व पुलिस अधीक्षक को दिए गए शिकायत पर भी स्पष्ट यह हो रहा है कि किस तरीके से शिकायत किसी और का और मीडिया के सामने किसी और का जिक्र कर रहे हैं यह कपट नहीं तो और क्या किसी स्थानीय लोगों की छवि खराब करने में कुछ राजनीतिक खिलाड़ी समझने वाले अपने ही जाल में फंसते और सरपंच संघ को फंसाते जा रहे हैं।
भय और भ्रष्टाचार को आखिरकार कब तक मिलेगा संरक्षण और सुरक्षा पांच साल बाद जनता भ्रष्ट जनप्रतिनिधियों को जबाव दे ही देता है। कुछ नामजद बड़े सत्ताधारी पार्टी के नुमाइंदे जो अपने आला कमाल के पावर पर जो कुछ धौंस जमाने का प्रयास कर रहे हैं वह सिर्फ अपनी रोजी रोटी सेकने तक ही सीमित है। पांच साल बाद जनता अपना प्रतिनिधि चुन कर अच्छा काम करने के लिए सत्ता में बैठाता जाता है और भ्रष्टाचार को सह देने वाले को जनता पहचानता है, आम जनता के टैक्स के पैसे पर विकास कार्यों में खर्च करने के बजाय अपनी ऐसो आराम पूरा करने वालो की पाप का घड़ा भर गया वह जल्दी हि फूटेगा और आपसी राजनीतिक द्वेष को निजी रूप से भजाने का प्रयास ना करें।
निष्पक्षता के नाम पर दोगले पन की हकीकत तस्वीर हुई उजागर जिसमें अपने आप को अच्छा और सूचना के अधिकार लगा दे उसको बुरा बतलाने वाले पत्रकार जो बंद कमरे पर लिफाफे में बिक जाते हैं। किन्तु हकिकत का उजागर होता है तो उनको बचाने सरंक्षण देने का ठेका ले लेते है। इस लिए सच्चाई को आम जनता के सामने रखने के लिए खबर प्रकाशित करने में पैंट गिली हो जाता है और अपने आप को वाहवाही लूटने में एक कदम आगे आकर चमचागिरी करते हैं। यह सब क्या है। चमचागिरी नहीं तो और क्या…?
सूचना के अधिकार का जवाब देने में सरपंच प्रतिनिधियों की क्यों सांसें फूल रही है। 15 वृत्त की राशि का जिस तरीके से खर्च कर रहे हैं जिनसे पंचायत की विकास कार्यों का कोई लेना-देना नहीं तो भला इस बात का उजागर करने पर झुठी नहीं होगा तो और क्या होगा…
कविता में भी गौर फरमाए
मेरे मन तू क्यों रोता है जो लिखा है वही होता है…रास्ते दस और खुलते हैं जब एक बंद होता है…जिन पेड़ों पर फल नहीं होते क्या वहाँ चिड़ियों का बसेरा नहीं होता है…हिम्मत हारने से तुझे क्या मिलेगा, रात के बाद ही तो सवेरा होता है…कितनी भी उड़ान भर ले आसमान में, मिलना तो सबको जमीं पर होता है…मत मायूस हो दुनिया की क्रूरता खुद पर पाकर..सुना है जिसका कोई नहीं उसका खुदा होता हैं….
गुलामगिरी बंद कर दो क्योंकि 5 साल बाद जनता अपना प्रतिनिधि चुन लेता है सत्ता और पावर का घमंड भी अच्छे- अच्छो का चूरा चूर हो जाता है तो 5 साल में जनप्रतिनिधियों के दम पर ज्यादा उछलने की जरूरत नहीं स्थानी पत्रकारों के समन्वय बेहद जरूरी है।
शिकायत कलेक्टर और पुलिस अधीक्षक को सौंपते हुए कार्रवाई की मांग की है जिला पंचायत सदस्य ने अपने बातो कों रखा, अभी दिवाली मिलन हम लोग किए थे तो सरपंच लोगों ने रोते हुए यह बात बताया कि सभी 111पंचायत के सरपंच को दिवाली में क्युवारकोड भेजकर लगातार फोन लगाया जा रहा और पैसे के लिए 1 सौ 11 सरपंचों को फोन कर क्यूआरकोड में पैसा डालो कर दबाव बनाया गया इसलिए मैं कहा कलेक्टर और पुलिस अधीक्षक कों कार्यवाही करने कों साथ लेकर आया और फर्जी पत्रकार ग्राम पंचायत में वसूली पैसे का कर रहा सूचना का अधिकार लगाए है इनसे हम लोग डरने वाले नहीं है बहुत लोग और है जों बेमेतरा का एक निवासी है जों 21 सूचना का अधिकार लगाए है और 40 से अधिक सूचना का अधिकार लगाए है वह लगातार दबाव बना रहा है इसीलिए इन लोग से बच कर रहे डरने की जरूरत नही है
वर्जन : अंजू बघेल जिला पंचायत सदस्य
सरपंच संघ के अध्यक्ष लालन सिंह यादव नवागढ़ जनपद पंचायत से पूरे सरपंच हमारे 1 सौ 11 पंचायत है जनपद पंचायत नवागढ़ में जो सरपंचों को फर्जी पत्रकारों द्वारा विज्ञापन बिल भेजकर मोबाइल से सरपंचो कों क्यूआर कोड भेज कर पैसा का वसूली का काम करने के लिए तैयारी कर रहे थे जो अभी तक वसूली किया जा रहा है लेकिन पैसे के लिए रोज फोन कर करके पैसा डालो करके बोलते हैं इस बातों कों लेकर हम लोग पुलिस अधीक्षक और कलेक्टर ऑफिस मे शिकायत करने आए है उसके बाद फिर एसपी साहब को बोला गया है कि जो इस तरह से ऐसा काम कर रहे हैं उनके खिलाफ एफआईआर दर्ज किया जाय और जिसका नाम पता नहीं है जो कवर्धा में रहते हैं भिलाई में रहते हैं जिनको हमारे बेमेतरा जिला से लेना देना नहीं है वह केवल पैसा वसूली करते हैं कुछ लोग 25 हजार, 50 हजार मांगते हैं उनके बाद 500/ सौ भी आकर पैसा डाल दो मोबाइल में करके परेशान करते है यह फर्जी पत्रकारों द्वारा मोबाइल में क्यूआर कोड भेज कर सरपंचों से पैसा वसूली का काम कर रहे थे
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